सिनेमा टिकट हुए महंगे, OTT हुआ सस्ता, बॉक्स ऑफिस पर इसलिए नहीं की फिल्मों ने कमाई?

पिछले साल दिवाली पर करीब डेढ़ साल बाद सिनेमाघरों पर फिल्मों की रिलीज का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन उनमें भी 'सूर्यवंशी' के अलावा कोई दूसरी फिल्म धमाल नहीं कर पाई। जानकारों का मानना है कि बॉलिवुड फिल्मों के महंगे टिकट रेट की वजह से फिल्मों को यह नाकामी झेलनी पड़ी थी। पेश है एक रिपोर्ट : पिछले साल के आखिरी हफ्ते में अचानक कोरोना के केस बढ़ने के कारण राजधानी दिल्ली में सिनेमाघर बंद कर दिए गए और देश के दूसरे राज्यों में तमाम पाबंदियां लगा दी गईं। इसी के साथ फिल्मों की रिलीज का सिलसिला भी थम गया और जनवरी में रिलीज होने वाली तमाम फिल्मों 'जर्सी', 'आरआरआर', 'राधे श्याम', 'पृथ्वीराज' और 'अटैक' को पोस्टपोन कर दिया गया। लेकिन अब दिल्ली और मुंबई में कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद सिनेमाघरों को सरकारी पाबंदियों से कुछ राहत मिलने की उम्मीद के चलते तमाम निर्माता अपनी फिल्मों की रिलीज घोषित कर रहे हैं। इनमें 11 फरवरी को बधाई दो, 18 मार्च को 'बच्चन पांडे', 25 मार्च को 'भूल भुलैया 2' और 14 अप्रैल को 'लाल सिंह चड्ढा' अभी तक घोषित हुई फिल्मों में प्रमुख हैं, लेकिन फिल्मी दुनिया के जानकारों की चिंताएं इंडस्ट्री को लेकर अभी भी बरकरार हैं। दरअसल, बीते नवंबर और दिसंबर में करीब हर हफ्ते बॉलिवुड फिल्में रिलीज हुईं, लेकिन उनमें से 'सूर्यवंशी' के अलावा कोई फिल्म बहुत अच्छा नहीं कर पाई। जबकि हॉलिवुड फिल्म 'स्पाइडरमैन' और साउथ फिल्म 'पुष्पा' ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। जानकारों का कहना है कि 'बंटी और बबली 2', 'सत्यमेव जयते 2', 'अंतिम', 'चंडीगढ़ करे आशिकी' और '83' जैसी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर पाने की वजह इनका कंटेंट के लेवल पर कमजोर होने के साथ टिकट खिड़की पर इनके दाम बहुत ज्यादा ज्यादा होना भी थी। वहीं दूसरी ओर इसी दौरान तमाम ओेटीटी प्लैटफॉर्म ने अपने दामों में भारी कमी की है। बेशक इसका सीधा नतीजा फिल्मों की असफलता के रूप में सामने आया है। 'तो फिर ओटीटी पर ही देखेंगे' सिनेमाघरों में ज्यादातर फिल्मों के पहला दिन पहला शो देखने वाले कॉलेज स्टूडेंट विक्रांत कहते हैं, 'कोविड से पहले हम दोस्त ज्यादातर फिल्मों के सुबह के शोज सिनेमाघर में देखते थे, लेकिन अब जब दिवाली पर सिनेमाघर खुले थे, तो महंगे टिकट की वजह से हम सिर्फ 'सूर्यवंशी' को ही सिनेमाघर में देखने की हिम्मत जुटा पाए हैं और उसके बाद दूसरी फिल्म 'पुष्पा' देखी थी, क्योंकि उसके टिकट का दाम कम था। बाकी फिल्में तो एक महीने बाद ओटीटी पर ही देखने का प्लान बनाया था। वैसे भी अब ज्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म ने अपने सालाना प्लान महज 300 से 500 के बीच कर दिए हैं। ऐसे में, सिनेमाघर में एक फिल्म के लिए 300 से 500 खर्च करना कहां की समझदारी है।' हालांकि फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श इस बारे में अलग राय रखते हैं। वह कहते हैं, 'इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिनेमा का अपना एक बड़ा चार्म है और वह आसानी से कम नहीं होगा। मैं यह नहीं कहता कि सिनेमा वाले अपने टिकट रेट जीरो कर दें, लेकिन ये इतने जरूर होने चाहिए कि आम आदमी उस टिकट को खरीद सके। मैं सिंगल स्क्रीन पर फिल्म देखकर बड़ा हुआ हूं, उस वक्त टिकट रेट ऐसे हुआ करते थे कि आम आदमी भी फिल्म देखने जाता था। आज जब आपकी फिल्म रिलीज के चार हफ्ते बाद डिजिटल पर आ जाएगी, तो लोग उसे वहां ही देखते हैं। ऐसे अगर आप बेहतर कंटेंट के साथ सिनेमा को अफॉर्डेबल नहीं बनाते हैं, तो एक वर्ग सिनेमा से कट जाएगा।' 'सिनेमावालों को लेना चाहिए सबक' वहीं प्रड्यूसर और फिल्म बिजनेस एनालिस्ट गिरीश जौहर कहते हैं, 'नवंबर- दिसंबर में एकाध को छोड़कर बाकी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर पिट जाने से सिनेमावालों को सबक लेना ही चाहिए। हालांकि ये फिल्म पर भी निर्भर करता है। लेकिन अगर कंटेंट अच्छा ना हो और फिल्म के टिकट रेट ज्यादा हों, तो नुकसान भी हो सकता है। ऐसे में उम्मीद है कि अब आने वाले दिनों में इस बारे में सोच-समझकर फैसला लिया जाएगा। अगर दर्शकों को कोई फिल्म एवरेज लगेगी, तो वह सिनेमा की बजाय उसे ओटीटी पर देखेगा। लेकिन कहीं न कहीं इसका नुकसान सिनेमा को हो रहा है। पोस्ट कोविड सिनेमा के टिकट रेट तो बढ़े हैं और इससे सिनेमाघरों से लोग भी छंट गए हैं।' उन्होंने कहा, 'वहीं एवरेज फिल्मों के लिए कोई जोखिम लेकर बाहर भी नहीं निकलना चाहता। वह उन्हें ओटीटी पर ही देखेगा। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि मीडियम लेवल और छोटी फिल्मों को मल्टीप्लैक्स को संभालना चाहिए। क्योंकि बड़ी फिल्म साल में 10-15 ही आती हैं, वे ज्यादा से ज्यादा दो वीकेंड निकालती हैं। लेकिन मीडियम फिल्में सिनेमा के 30 से 35 हफ्ते चलाती हैं। अगर आप उनको नहीं संभालोगे और वे ओटीटी पर चली जाएंगी तो आप क्या दिखाएंगे। मीडियम और छोटी फिल्मों के पास ओटीटी का भी विकल्प है। तो अगर आप उनकी प्राइसिंग नहीं करेंगे, उसके प्रड्यूसर को खड़ा नहीं करोगे, उन्हें अच्छे शो नहीं दोगे, तो वे डायरेक्ट ओटीटी पर जाएंगे और फिर आपको ही परेशानी होगी।'


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