'ये जवानी है दीवानी' की रिलीज के 8 साल पूरे, रणबीर की फिल्म ने सिखाईं ये 5 बड़ी चीजें
'ये जवानी है दीवानी' (Yeh Jawaani Hai Deewani) बॉलिवुड की सबसे पॉप्युलर फिल्मों में से एक है। इसे हर वर्ग के लोगों ने काफी पसंद किया। यह आज भी लोगों की पसंदीदा फिल्मों में से एक है।
डायरेक्टर अयान मुखर्जी की फिल्म 'ये जवानी है दीवानी' (Yeh Jawaani Hai Deewani) की रिलीज को 8 साल पूरे हो गए हैं। रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, आदित्य रॉय कपूर, कल्कि केकलां स्टारर इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया। इसकी कहानी, गाने आज भी लोगों के दिल और दिमाग में बसे हैं। मनाली की खूबसूरत वादियों समेत अलग-अलग जगहों पर फिल्माई गई यह फिल्म कुछ लाइफ लेसन्स भी देती है। आइए जानते हैं, क्या सिखाती है या फिल्म...
ट्रैवल
फिल्म में कबीर उर्फ बनी (रणबीर कपूर) हमेशा घूमना चाहता है। उसका सपना होता है कि वह दुनिया के हर कोने को देखे। वह ऐसी जिंदगी चाहती है जो उसे दौड़ने, उड़ने, गिरने दे मगर रुकने ना दे। फिल्म में मनाली और विदेशी लोकेशन्स को देखने के बाद कौन नहीं अपना बैगपैक करना चाहेगा।
रुकें और सांस लें
उदयपुर को एक्सप्लोर करते हुए नैना (दीपिका पादुकोण) और बनी की मजेदार बातचीत शुरू होती है जिसकी टोन एकदम से बदल जाती है जब बनी को नैना एहसास दिलाती है कि कितनी भी कोशिश कर लो, कुछ चीजें आपके हाथ से निकल ही जाती हैं। ऐसे में बेहतर है कि रुको, सांस लोग और मोमेंट का आनंद लो।
फैमिली और दोस्त पहले
फैमिली और दोस्त कितने जरूरी हैं, यह इस फिल्म से सीखा और समझा जा सकता है। कम से कम तीन ऐसे कैरक्टर्स तो यही बयां करते हैं जो बनी को सही रास्ते पर लाते हैं। इसमें पहला कैरक्टर अविनाश (आदित्य रॉय कपूर) का है। दूसरा नैना का जिसके मन में बनी के लिए फीलिंग्स कई वर्षों से है। तीसरा कैरक्टर अदिति (कल्कि केकलां) का है जो बनी के लिए सबकुछ गिवअप कर देती है। फिर जब बनी अपने पिता को खो देता है तो उसे एहसास होता है कि फैंटसी से ज्यादा दोस्त और परिवार जरूरी हैं।
प्यार
ट्रैवलिंग के अलावा फिल्म में प्यार को भी बखूबी पेश किया गया है। फिल्म के एक सीन में बनी और उसके पिता (दिवंगत ऐक्टर फारुख शेख) के बीच के प्यार और बनी के ट्रैवलिंग के लिए अनकंडिशनल लव को दिखाया गया है। पिता अपने बेटे को खुशी-खुशी सपनों को पूरा करने की छूट देते हैं। बाद में पिता को खोने के बाद यही प्यार याद आता है।
एक साथी को ढूंढें
फिल्म के आखिर में बनी और नैना मिल जाएंगे, इसका अंदाजा लगभग सभी को था लेकिन जर्नी जिस तरह आगे बढ़ी, वह हर किसी को पसंद आई। बनी को डर लगता है कि बिना किसी साथी के वह पूरी जिंदगी अकेला हो जाएगा, अगर उसने पेरिस की फ्लाइट पकड़ ली। वह सीधे नैना के पास जाता है, उसे प्रपोज करता है और अपने साथ ट्रैवल करने के लिए पूछता है। आखिर में बनी के साथ-साथ दर्शकों को भी महसूस होता है कि अकेले ट्रैवल करने में उतना मजा नहीं है जितना एक साथी के साथ करने में है।
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