2 अप्रैल की शाम को ऋषि कपूर ने आखिरी ट्वीट में जताई थी यह इच्छा
कहते हैं कि इंसान दुनिया से रुखसत हो जाता है और पीछे बस उसकी कही बातें और किस्से यादों के रूप में रह जाते हैं। वे इच्छाएं और सपने रह जाते हैं जो पूरे ही नहीं हो पाते। ऋषि कपूर अचानक ही इस दुनिया से चले गए और उनके साथ ही उनकी कुछ इच्छाएं भी अधूरी रह गईं। बेटे रणबीर की शादी, फिल्में, पोते-पोतियां और न जानें क्या-क्या। लेकिन ऋषि कपूर की एक और दिली इच्छा था। वह थी कोरोना के खिलाफ जारी जंग जीतना। कोरोना महामारी में ऋषि कपूर लगातार लोगों से घरों में ही रहने की अपील करते रहते थे। कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ के लोगों पर जारी हमलों पर भी उन्होंने सख्त नाराजगी जाहिर की थी और सभी देशवासियों से अपील कि वे हिंसा का सहारा न लें। ऋषि कपूर का आखिरी ट्वीट भी इसी को लेकर था। ऋषि कपूर ने 2 अप्रैल को शाम 6.52 बजे आखिरी ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था, 'मेरी हर धर्म और जाति के सभी भाइयों और बहनों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि प्लीज हिंसा न करें। डॉक्टरों, नर्सों, पुलिसकर्मियों और मेडिकल स्टाफ पर न तो पत्थर फेंके और न ही मारे-पीटें। वे सभी अपनी जिंदगियां खतरे में डालकर आपको बचा रहे हैं। हमें मिलकर कोरोना से इस जंग को जीतना है। प्लीज। जय हिंद।' पढ़ें: ऋषि कपूर तो चले गए और कोरोना संग लड़ाई अभी भी जारी है। लेकिन उम्मीद है कि ऋषि कपूर के इस ट्वीट पर हिंसा करने वाले लोग जरूर अमल करेंगे। बता दें कि ऋषि कपूर का 67 साल की उम्र में गुरुवार को मुंबई के एच एन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में निधन हो गया। वह पिछले दो साल से ल्यूकेमिया कैंसर से जूझ रहे थे। साल 2018 में कैंसर का पता चलने के बाद वह न्यू यॉर्क इलाज के लिए चले गए और सितंबर 2019 में ठीक होने के बाद वापस भारत लौटे। लेकिन फरवरी 2020 में ऋषि कपूर की तबीयत फिर से बिगड़ी और अस्पताल में भर्ती किया गया। इसके बाद जब वह दिल्ली से मुंबई लौटे तो वायरल फीवर ने जकड़ लिया। लेकिन इस बार जब अस्पताल में भर्ती हुए तो लौटे ही नहीं।
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